ऊपरी मंजिलें हटाने के नोटिस जारी होने पर भडक़े व्यापारी
Upper Storey Removal Notice
नोटिस में एस्टेट विभाग ने लिखा, दो माह में हटाओ अन्यथा गिरा दिये जाएंगे
-व्यापारियों की दलील, सहूलियतें दिलाने व पालिसी बनाने के नाम पर किया सर्वे, बाद में भेज दिये नोटिस
-4 हजार व्यापारियों की सुध नहीं, 150 बड़े व्यापरियों के लिये बिछाए पलक पांवड़े
चंडीगढ़, 28 नवंबर (साजन शर्मा) Upper Storey Removal Notice: एस्टेट आफिस ने चंडीगढ़ के 82 व्यापारियों को मिसयूज और वायलेशन(misuse and violation) का नोटिस जारी किया है। 300 अन्य व्यापारियों के नोटिस(merchants' notices) भी जल्द पहुंचने वाले हैं। दो माह के अंदर व्यापारियों ने अगर वायलेशन(If the traders violated) नहीं हटाया तो इसे गिराने की कार्रवाई होगी। पंजाब के राज्यपाल और यूटी के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा था कि व्यापारियों को कुछ सहूलियतें देनी हैं, इसके लिए सर्वे कर रहे हैं। व्यापारियों के हित में कोई न कोई पालिसी प्रशासन की ओर से लाई जाएगी। इसके बाद एस्टेट ऑफिस की ओर से सर्वे हुआ लेकिन साथ ही नोटिस जारी हो गए। यानि प्रशासन ने छद्म तरीके से सर्वे कर नोटिस भेजने का काम किया। सहूलियतें तो क्या देनी थी, उल्टा प्रताडि़त कर दिया। यह कहना था अधिकांश व्यापारियों का जो सोमवार को इंडस्ट्रियल एरिया दो में प्रदर्शन के लिए जुड़े थे।
व्यापारी नेता अवि भसीन का कहना है कि चंडीगढ़ का दुर्भाग्य है कि यहां के अफसर सुनते नहीं। ये तीन साल के डेपूटेशन पर आते हैं और फाइलों व मुद्दे का स्वरूप बिगाड़ कर चले जाते हैं। जब तक चंडीगढ़ का अफसरों का अपना कैडर नहीं होगा, यहां की समस्याएं हल नहीं होंगी। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के पास मसले भेज दिये जाते हैं। वहां से इस पर कोई मंजूरी नहीं मिलती। व्यापारी वर्ग जो बड़ी उम्मीदों से भाजपा से जुड़ा था, वह परेशान हो चुका है। व्यापारियों की दलील हैं कि अब दूसरे विकल्पों की ओर भी देखने लगे हैं क्योंकि भाजपा ने तो तीन बार अपने घोषणा पत्र में मुद्दा सुलझाने की बात रखी थी लेकिन इस पर तो अब तक काम नहीं हुआ। व्यापारियों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। कभी यहां फैक्टरियां चलाने वाले उद्योगपति आइशर, एचएमटी, पीटीएल व स्वराज माजदा जैसी कंपनियों की एंसलरी यूनिट के तौर पर काम करती थी और उन्हें सप्लाई होने वाले पुर्जों का निर्माण करती थी। अचानक ये बड़ी कंपनियां बंद हो गई या शिफ्ट हो गई जिसके बाद यह फैक्टरियां भी बंद हो गई। इन इंडस्ट्रयलिस्टों ने रोजी रोटी कमाने के लिए काम तो कुछ करना था। उन्होंने यहां ट्रेडिंग शुरू कर दी। प्रशासन इसका विरोध कर रहा है। इलेक्ट्रिकल व फर्नीचर इंडस्ट्री के लिए अब ये व्यापारी लीगल तरीके से सर्विस प्रोवाइडर का काम कर रही है और सरकार व प्रशासन को करोड़ों का टैक्स दे रहे हैं।
डीसी आफिस को घेरना था, राष्ट्रपति के दौरे के चलते रुके व्यापारी
सोमवार को प्रशासन के रवैये के खिलाफ व्यापारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। एक हजार से ज्यादा व्यापारी बड़े आक्रोश में दिखाई दिये। उन्होंने न केवल सत्तारूढ़ दल बल्कि प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली। काली पट्टियां बांधे ये व्यापारी प्रशासन के तानाशाह रवैया की आलोचना कर रहे थे और अफसरों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी में जुटे रहे। व्यापारियों ने कल मंगलवार को डीसी आफिस पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी लेकिन अंतिम वक्त पर प्रशासन ने अनुरोध किया कि चूंकि राष्ट्रपति का दौरा है लिहाजा इसे टाल दें। इस अनुरोध पर व्यापारियों ने प्रदर्शन वीरवार को करने की योजना बनाई।
150 बड़े व्यापारियों तो कनवर्ट करने की परमिशन, 4 हजार छोटे व्यापारियों को ठेंगा
अवि भसीन ने बताया कि 2006 में एक कनाल से बड़े प्लाट वालों को प्रशासन ने कनवर्ट करने की इजाजत दे दी। उन्होंने 9-9 मंजिल बना भी ली जबकि इनकी संख्या 150 ही है। छोटे व्यापारी व इंडस्ट्रलिस्ट 4 हजार से भी ज्यादा हैं। इनकी ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं। हजारों मजदूर यहां काम करते हैं। ट्रांसपोर्ट उद्योग यहां जुड़ा है। जो व्यापारियों का परमिसिस है, उसे अंदर कम से कम दो मंजिल बनाने की इजाजत दे दी जाए जिसके चार्जिस देने को भी व्यापारी तैयार हैं। एडवाइजर और गवर्नर और प्रशासक से इस बारे मिल कर पूरा दुखड़ा सुना चुके हैं लेकिन प्रशासन की मसला हल करने की मंशा नहीं दिख रही। कह रहे हैं कि मामला एमएचए के पास भेज दिया। जब तक वहां से कोई निर्णय नहीं आता तो हम कुछ नहीं कर सकते। अवि भसीन ने कहा कि एक तो प्रशासन एमएसएमई एक्ट को लागू करे और सभी 4 हजार छोटे व्यापारियों को ट्रेडिंग की मंजूरी दे। ऊपर परिसर में दो मंजिल बनाने की इजाजत दे। बनी बनाई बिल्डिंगों को तोडऩा कोई हल नहीं। 90 प्रतिशत व्यापारी पहले दो-दो मंजिल बना चुके हैं। 1972 में यहां सबसे पहले इंडस्ट्री को अलॉटमेंट हुई थी जो 1982 तक चली। 1982 से लेकर 2022 तक 40 साल का वक्त गुजर चुका है जिस दौरान व्यापारियों व इंडस्ट्रियलिस्टों की जरूरतें भी बदल चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर चरणजीत कौर ने केस भी डाल रखा है जिसकी तारीख 23 फरवरी 2023 लगी है लेकिन उससे पहले ही प्रशासन जल्दबाजी में अतिक्रमण हटाने की बात कर रहा है और नोटिस भेज रहा है।
यह पढ़ें: